मन मेरे, हरि भजन क्यों न गावे...
मन मेरे हरि भजन क्यों न गावे-2 हरि भजन तू कर ले रे मनवा, दुःख तेरे कट जावे-2 यह जग तेरा क्या लागे है, इसे तू अपना माने संग तेरे इक्क क्षण न रहे यह, पल पल दूर ही भागे तू तो जग को अपना माने, जग तुझको ठुकरावे हरि भजन क्यों न गावे... तू तो हरि का अंश सनातन, खुद को तू पहचान रे हरि के संग है तेरी एकता, ऐसा तू ले जान रे हरि से बिछड़ के कहाँ जाएगा, क्यों उसको बिसरावै हरि भजन क्यों न गावे... मैं मेरा तू करता रहता, अभिमान मत कर प्यारे तेरा तेरा सब प्रभु तेरा, ऐसा भाव तू कर प्यारे मैं और मेरा, तू और तेरा, ऐसा विचार न आवे हरि भजन क्यों न गावे....