बड़े विचित्र हो आप प्रभु

बड़े विचित्र हो आप प्रभु, करते बड़े कमाल
खुद ही भवसागर में डाले, खुद ही लेवे संभाल-२

अपना मानता है इस जग को, नादाँ यह इंसान
प्रतिक्षण यह बिछड़ रहा, नही इसको अनुमान-२

प्रारब्ध से तो चीजे मिलती, होता इसे गुमान
अपनी समर्था समझता है यह, करता बड़ा अभिमान-२

तेरा नही इस जग में कुछ भी, पैसा पदार्थ सम्मान
संसार की सेवा करके, ऋण तू दे उतार-२

प्रभु को हरदम याद रखो, वही करेगे बेड़ा पार
बार बार तुम कहते रहो, हे मेरे राम हे मेरे राम-२

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