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Showing posts from May, 2021

हरि के प्रेम की प्यासी

मैं तो हरि के प्रेम की प्यासी, हरि का प्रेम ही पाऊँगी इक हरि ही तो बस मेरे अपने, और कहाँ मैं जाऊँगी नींद मुझे जब घर कर जाए,गोद हरि की सो जाऊँगी भूख मुझे तो जब लग जाए,हरि का प्रसाद ही पाऊँगी  गाने को जब मन कर आए, हरि के भजन ही गाऊँगी नाचने को जब दिल कर आए, रास पे नाचती जाऊँगी प्यास मुझे जब लग जाए, चरणामृत बनाऊँगी खेलने को जब दिल कर आए, हरि संग क्रीड़ा कराऊँगी सुनने को जब दिल कर आए, मुरली की धुन बजाऊँगी मैं तो हरि के प्रेम की प्यासी, हरि का प्रेम ही पाऊँगी इक हरि ही तो बस मेरे अपने, और कहाँ मैं जाऊँगी

कृपा करो हे मेरे प्रभु

कृपा करो हे मेरे प्रभु, मैं आया तेरे द्वार इक्क तू ही है मेरा सहारा, कर दो मेरा उद्धार तुझ बिन मैं कुछ नही स्वामी, भटकूँ बीच संसार तू जो चाहे पल में कर दे, मेरा बेड़ा पार नैय्या मेरी पर लगा दो, फॅसा हुँ बीच मँझदार कृपा करो हे मेरे प्रभु। मेरे प्रभु अब मैं हारा, किए बहुत प्रयास जगत को अपना माना था, पर अब तेरी ही आस यह लीला कर दे प्रभु तेरी, लीला अपरम्पार कृपा करो हे मेरे प्रभु।

ए मन मेरे रूक जा

ए मन मेरे रूक जा, कहाँ दौड़ कर जाएगा भीड़ बड़ी है इस पथ पर, तु कहीं पहुँच न पाएगा ए मन मेरे रूक जा। बहुत विचार है आते जाते, इस पथ पर ए पथिक जितना तू सुलझाना चाहे, उतना ये उलझे अधिक इन विचारों की श्रृंखला को कभी तोड़ न पाएगा ए मन मेरे रूक जा। तू तो बहुत ही चंचल है, तू कही टिकता नही, लेकिन जिसके पीछे भागे ,वो भी तो मिलता नही, मिल भी जाए अगर तो, किसी और तरफ ललचाएगा ए मन मेरे रूक जा। इच्छाएं बहुत इस मन की, पर अगर यह टिक जाए नाशवान इस जग की, कामनाए गर मिट जाए यह जग पीछे पीछे भागे फिर तू इसे ठुकराएगा ए मन मेरे रूक जा। ए मन मेरे रूक जा, कहाँ दौड़ कर जाएगा भीड़ बड़ी है इस पथ पर, तु कहीं पहुँच न पाएगा ए मन मेरे रूक जा।