ए मन मेरे रूक जा
ए मन मेरे रूक जा, कहाँ दौड़ कर जाएगा
भीड़ बड़ी है इस पथ पर, तु कहीं पहुँच न पाएगा
ए मन मेरे रूक जा।
बहुत विचार है आते जाते, इस पथ पर ए पथिक
जितना तू सुलझाना चाहे, उतना ये उलझे अधिक
इन विचारों की श्रृंखला को कभी तोड़ न पाएगा
ए मन मेरे रूक जा।
तू तो बहुत ही चंचल है, तू कही टिकता नही,
लेकिन जिसके पीछे भागे ,वो भी तो मिलता नही,
मिल भी जाए अगर तो, किसी और तरफ ललचाएगा
ए मन मेरे रूक जा।
इच्छाएं बहुत इस मन की, पर अगर यह टिक जाए
नाशवान इस जग की, कामनाए गर मिट जाए
यह जग पीछे पीछे भागे फिर तू इसे ठुकराएगा
ए मन मेरे रूक जा।
ए मन मेरे रूक जा, कहाँ दौड़ कर जाएगा
भीड़ बड़ी है इस पथ पर, तु कहीं पहुँच न पाएगा
ए मन मेरे रूक जा।
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