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Showing posts from July, 2024

तेरी हर बात को गंभीरता से लेता हुं

तेरी हर बात को गंभीरता से लेता हुं  ए जिंदगी मैं तो बस तुझे ही जीता हूं  दामन भर दू तेरा खुशियों से  तेरे सारे गम पी लेता हुं क्या नही कर सकता तेरे लिए अमन  तू कहे तो आसमा को सी देता हु

राज़

जरूरी नही कि सारे राज़ महफिल में बताए जाए पर कुछ तो है जो दुनिया से छिपाए जाए तुम भी एक राज हो, उन सब राजो में ' अमन' क्यों तुम्हे सारी दुनिया के सामने लाए

कभी चाहा ही नहीं

तुझे भूल जाने की कभी न कोशिशें की तू याद न आए, दिल ने कभी चाहा ही नही तू ही बस तू ही धड़कता हैं इस दिल में दिल ने तेरे सिवा कुछ, कभी चाहा ही नहीं तुझे भूल जाते तो कब का मर जाते जिंदगी है तू मेरी, मरने का कभी चाहा ही नही मेरे दिलो दिमाग में हैं इक तेरी ही तस्वीर कभी धुंधली हो जाए यह, कभी चाहा ही नही घर से निकलते ही कदम बढ़ते है तेरे घर की तरफ़ खत्म हो जाए यह सफ़र, कभी चाहा ही नहीं 'अमन' कहता है कि उससे खूबसूरत कोई नही  हो भी गर, तो उसको तो, कभी चाहा ही नही लाखों है दुनिया में खुबसूरत एक से एक ’अमन’ ने उसकी सादगी के सिवा कुछ, कभी चाहा ही नही

प्यार का सलीका

वो कहते है हमे प्यार करने का  सलीका नही आता कैसे जीता जाता है दिल यार का तरीका नही आता कैसे किया जाता है बयां इक दिल को इक दिल का हाल कैसे जाता है सुलझाया  दिलो के बीच बिछा यह जाल बात है बस दो लफ्जों की  बना देते हो पूरी कहानी क्यों बताते हो इसे लवों से,  कहो निगाहों की जुबानी बीच भवर में फसी नाव को नजर तट नदी का नही आता वो कहते है हमे प्यार करने का सलीका नही आता कैसे जीता जाता है दिल यार का तरीका नही आता