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Showing posts from November, 2022

भगवान की प्राप्ति तत्काल होती है या अभ्यास से

राम राम जी  ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्। मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।4.11।। हे पृथानन्दन ! जो भक्त जिस प्रकार मेरी शरण लेते हैं, मैं उन्हें उसी प्रकार आश्रय देता हूँ; क्योंकि सभी मनुष्य सब प्रकारसे मेरे मार्गका अनुकरण करते हैं।  एक बहुत ही विचार का विषय है कि भगवान की प्राप्ति तत्काल होती है या अभ्यास करने से  किसी किसी ग्रंथ में हम यह देखते हैं कि अभ्यास के द्वारा भगवान की प्राप्ति होती है और किसी किसी ग्रंथ में यह लिखा होता है कि भगवान की प्राप्ति तत्काल होती है य़ह काल का विषय ही नहीं है। तो इस संशय की निवृत्ति के लिए एक कथा मन में आ रही है। एक बार नारद मुनि विष्णु लोक जा रहे थे।  रास्ते में उन्हें एक संत मिले जोकि एक पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान का भजन कर रहे थे।  जब संत ने नारद मुनि को जाते हुए देखा तो उन्हें प्रणाम किया और उनसे पूछा कि भगवान आप कहां जा रहे हो ?  नारद मुनि ने कहा कि मैं विष्णु लोक में भगवान विष्णु से मिलने जा रहा हूं। संत ने कहा कि हे प्रभु क्या आप भगवान से मेरा एक प्रशन पूछ सकते हैं?  नारद मुनि ने कहा अवश्य, बताइए आपका प्रश्न क्या है

13,11,2022

गीता का सबसे महत्वपूर्ण श्लोक है 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन मां कर्म फल हे तोर घुमाते संघर्ष बक्र मंडी अर्थात कर्म करने पर ही तुम्हारा अधिकार है फल पर कभी नहीं इसलिए तो कर्म कर  यहां पर कुछ लोग कहते हैं कि फल पर अधिकार नहीं है कर्म पर अधिकार है। लेकिन जब कर्म करेंगे तो फल तो मिलेगा ही। यहां पर फल का त्याग नहीं है फल की इच्छा का त्याग है अर्थात हमें कर्म करते समय किसी भी प्रकार के फल की इच्छा नहीं रखनी है।      लेकिन  कर्म तो किसी ना किसी उद्देश्य को सामने रखकर ही किया जाएगा अर्थात कोई कामना होगी, कोई इच्छा होगी तभी  तो व्यक्ति कर्म में प्रवृत्त होगा और कर्म किए बिना कोई रह नहीं सकता और कामना के बिना कर्म होता नहीं तो सबसे महत्वपूर्ण बात जो मेरी सोच है यह है कि जब तक यह जिम्मेदारी है कामना तो करेगा ही वह चाहेगा कि मैं कोई कर्म करूं तो उसके बदले में मुझे (यह फल )मिले लेकिन उसका यह कर्म क्रिया में कैसे बदलेगा उसका सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसकी जो कामना ( यह फल  )     है जिसके कारण वह कर्म कर रहा है अपनी वह कामना वह भगवान के कामना में भगवान की इच्छा में मिला दे अगर उसकी का
Ram Ram मनुष्य जीवन का सबसे परम लक्ष्य आनंद प्राप्त करना है प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह आनंद की प्राप्ति करे क्योंकि आत्मा और आनंद  एक ही है इसीलिए वह चाहता है कि उसका जीवन आनंद पूर्वक हो क्योंकि वह स्वयं सच्चिदानंद स्वरूप ही है  लेकिन इसमे सबसे बड़ी बाधा यह है कि वह इस आनंद को इस संसार से प्राप्त करना चाहता है  वह समझता है कि सांसारिक संसाधनों से,  व्यक्तियों से,  वह अपने जीवन को आनंदमय बना   Uske pass sabse Jyada sabse Unnat Bhog padarth Ho sabse swadisht khane ke padarth ko jo Jiva ko Sukh De Aise Drishya dekhne ko Mile jisse netron ko Sukh Ho sugandhit perfume itra Ho Jo Nasika ko Sukh De Achcha Achcha music Vani sunane ko Mile jisse kanon ko Sukh Ho Mausam Hawa Aisi Ho Jo tvacha ko Bariya Lage arthat vah ine Sab bhogyo padarthi dwara apni indriyon ko Sukh pahunchana Chahta Hai Lekin use sarvbhada Har Samay Anukul chijen Nahin milati pratikul chijen milane per use Dukh hota hai kasht Hota Hai gyan indriyon ko Sukh Suvidha pradan karne ke liye hi vah Hamesha Apne Karm indriyon k