Posts

तेरी हर बात को गंभीरता से लेता हुं

तेरी हर बात को गंभीरता से लेता हुं  ए जिंदगी मैं तो बस तुझे ही जीता हूं  दामन भर दू तेरा खुशियों से  तेरे सारे गम पी लेता हुं क्या नही कर सकता तेरे लिए अमन  तू कहे तो आसमा को सी देता हु

राज़

जरूरी नही कि सारे राज़ महफिल में बताए जाए पर कुछ तो है जो दुनिया से छिपाए जाए तुम भी एक राज हो, उन सब राजो में ' अमन' क्यों तुम्हे सारी दुनिया के सामने लाए

कभी चाहा ही नहीं

तुझे भूल जाने की कभी न कोशिशें की तू याद न आए, दिल ने कभी चाहा ही नही तू ही बस तू ही धड़कता हैं इस दिल में दिल ने तेरे सिवा कुछ, कभी चाहा ही नहीं तुझे भूल जाते तो कब का मर जाते जिंदगी है तू मेरी, मरने का कभी चाहा ही नही मेरे दिलो दिमाग में हैं इक तेरी ही तस्वीर कभी धुंधली हो जाए यह, कभी चाहा ही नही घर से निकलते ही कदम बढ़ते है तेरे घर की तरफ़ खत्म हो जाए यह सफ़र, कभी चाहा ही नहीं 'अमन' कहता है कि उससे खूबसूरत कोई नही  हो भी गर, तो उसको तो, कभी चाहा ही नही लाखों है दुनिया में खुबसूरत एक से एक ’अमन’ ने उसकी सादगी के सिवा कुछ, कभी चाहा ही नही

प्यार का सलीका

वो कहते है हमे प्यार करने का  सलीका नही आता कैसे जीता जाता है दिल यार का तरीका नही आता कैसे किया जाता है बयां इक दिल को इक दिल का हाल कैसे जाता है सुलझाया  दिलो के बीच बिछा यह जाल बात है बस दो लफ्जों की  बना देते हो पूरी कहानी क्यों बताते हो इसे लवों से,  कहो निगाहों की जुबानी बीच भवर में फसी नाव को नजर तट नदी का नही आता वो कहते है हमे प्यार करने का सलीका नही आता कैसे जीता जाता है दिल यार का तरीका नही आता

मेरे ठाकुर मैं तेरे पास आया हूं कृपा कर दो

मेरे ठाकुर मैं तेरे पास आया हूं कृपा कर दो    लेकर मैं एक विश्वास आया हूं कृपा कर दो मेरे मन को कहीं भी चैन आए ना तेरे बिना इस दिल की यह तड़पन जाए ना तेरे बिना तू ही बस एक तू ही खास आया हूं कृपा कर दो मेरे ठाकुर मैं तेरे पास..... इस जग में बहुत घुमा कहीं भी प्यार पाया ना यह संसार तो है असार इसका सार पाया ना मुझे तो बस तेरी ही आस आया हूं कृपा कर दो मेरे ठाकुर मैं तेरे पास..... तेरी ही याद तेरी ही याद आती है मुझे हर पल तेरी हर एक अदा कातिल भाती है मुझे हर पल सजा को कत्ल मेरे का साज आया हूं कृपा कर दो मेरे ठाकुर मैं तेरे पास आया हूं कृपा कर दो    लेकर मैं एक विश्वास आया हूं कृपा कर दो।

भगवान की प्राप्ति तत्काल होती है या अभ्यास से

राम राम जी  ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्। मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।4.11।। हे पृथानन्दन ! जो भक्त जिस प्रकार मेरी शरण लेते हैं, मैं उन्हें उसी प्रकार आश्रय देता हूँ; क्योंकि सभी मनुष्य सब प्रकारसे मेरे मार्गका अनुकरण करते हैं।  एक बहुत ही विचार का विषय है कि भगवान की प्राप्ति तत्काल होती है या अभ्यास करने से  किसी किसी ग्रंथ में हम यह देखते हैं कि अभ्यास के द्वारा भगवान की प्राप्ति होती है और किसी किसी ग्रंथ में यह लिखा होता है कि भगवान की प्राप्ति तत्काल होती है य़ह काल का विषय ही नहीं है। तो इस संशय की निवृत्ति के लिए एक कथा मन में आ रही है। एक बार नारद मुनि विष्णु लोक जा रहे थे।  रास्ते में उन्हें एक संत मिले जोकि एक पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान का भजन कर रहे थे।  जब संत ने नारद मुनि को जाते हुए देखा तो उन्हें प्रणाम किया और उनसे पूछा कि भगवान आप कहां जा रहे हो ?  नारद मुनि ने कहा कि मैं विष्णु लोक में भगवान विष्णु से मिलने जा रहा हूं। संत ने कहा कि हे प्रभु क्या आप भगवान से मेरा एक प्रशन पूछ सकते हैं?  नारद मुनि ने कहा अवश्य, बताइए आपका प्रश्न क्या है

13,11,2022

गीता का सबसे महत्वपूर्ण श्लोक है 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन मां कर्म फल हे तोर घुमाते संघर्ष बक्र मंडी अर्थात कर्म करने पर ही तुम्हारा अधिकार है फल पर कभी नहीं इसलिए तो कर्म कर  यहां पर कुछ लोग कहते हैं कि फल पर अधिकार नहीं है कर्म पर अधिकार है। लेकिन जब कर्म करेंगे तो फल तो मिलेगा ही। यहां पर फल का त्याग नहीं है फल की इच्छा का त्याग है अर्थात हमें कर्म करते समय किसी भी प्रकार के फल की इच्छा नहीं रखनी है।      लेकिन  कर्म तो किसी ना किसी उद्देश्य को सामने रखकर ही किया जाएगा अर्थात कोई कामना होगी, कोई इच्छा होगी तभी  तो व्यक्ति कर्म में प्रवृत्त होगा और कर्म किए बिना कोई रह नहीं सकता और कामना के बिना कर्म होता नहीं तो सबसे महत्वपूर्ण बात जो मेरी सोच है यह है कि जब तक यह जिम्मेदारी है कामना तो करेगा ही वह चाहेगा कि मैं कोई कर्म करूं तो उसके बदले में मुझे (यह फल )मिले लेकिन उसका यह कर्म क्रिया में कैसे बदलेगा उसका सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसकी जो कामना ( यह फल  )     है जिसके कारण वह कर्म कर रहा है अपनी वह कामना वह भगवान के कामना में भगवान की इच्छा में मिला दे अगर उसकी का